1. ‘ शहरवासी सिर्फ़ माटी वाली काे नही, ओनके कंटर काे भी अच्छी तरह पहचानते हैं।’ आपकी समझ से वे काैन से कारण रहे हाैंगे जिनके रहते ‘माटी वाली’ काे सब पहसानते थे?
उत्तरः ‘ शहरवासी सिर्फ़ माटी वाली काे नही, ओनके कंटर काे भी अच्छी तरह पहचानते हैं।’ हमारी समझ से वो कारण यह रहे हाैंगे जिनके रहते ‘माटी वाली’ काे सब पहसानते थे कि- माटी वाली सिर पर धरा बोझा रखकर चलती हैं।
2. माटी वाली के पास आपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा साेचने का समय क्यों नहीं था?
उत्तरः माटी वाली के पास उसके अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय नहीं था क्योंकि – वह सारा दिन सिर्फ काम करती रहती थी।
3. ‘भूख मीटी कि भैजन मीठा ‘ से क्या अभिप्राय है?
उत्तरः इस वाक्य का अर्थ यह हैं कि- जब इंसान को भूख लगता हैं, तो खराब खाना भी उसे अमृत लगता हैं, लेकिन जब उसे भूख नही लगती तो उसे जितना भी अमृत दे दो वह उसे नही खा सकता।
4. ‘पुरखाें की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीज़ाें कै हराम के भाव वेचने काे मेरा दिल गवाही नहीं देता’। -मालकिन के इस कथन के आलाेक में बिरासत के बारे में अपने बिचार ब्यक्त कीजिए।
उत्तरः इस कथन में बिरासत का मतलब हैं, अमूल्य चीज, जिसे घर वाले प्यार से देते हैं। हमें उसे संभलकर रखनी चाहिए। न कि उसे बेचना चाहिए।
5. माटी वाली का राेटियाें का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबुरी काे प्रकट करता है?
उत्तरः माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब रखना उसकी गरीबी की मजबुरी को प्रकट करता हैं।
6. आज माटी वाली बुड्ढे काे काेरी राेटियाँ नही देगी-इस कथन के आधार पर माटी वाली के हृदय के भाबाें काे अपने शब्दाें में लिखिए।
उत्तरः आज माटी वाली बुड्ढे काे काेरी राेटियाँ नही देगी-इस कथन के माध्यम से मातीवाली का आदर साफ झलकता हैं कि वह रोटी के साथ साथ उसे प्याज की सब्जी बनाकर देगी।
7. गरीब आदमी का शमशान नहीं उजड़ना चाहिए‘।’ इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः गरीब आदमी का शमशान नहीं उजड़ना चाहिए इस कथन का आशय यह हैं कि- गरीब लोंगो का घर छिनना नही चाहिए। माटी वाील के पति की मृत्यु होने पर उसे अंतिम संस्कार की चिंता होने लगी। क्योंकि शमशान बाढ़ के कारण दुब गया था।
8. ‘विस्थापन की समस्या’ पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तरः बिजली व पानी आदि अन्य समस्याओं से जूझने के लिए नदियों पर बनाए गए बाँध द्वारा उत्पन्न विस्थापन सबसे बड़ी समस्या आई है। सरकार उनकी ज़मीन और रोजी रोटी को तो छीन लेती है पर उन्हें विस्थापित करने के नाम पर अपने कर्त्तव्यों से तिलांजलि दे देते हैं। कुछ करते भी हैं तो वह लोगों के घावों पर छिड़के नमक से ज़्यादा कुछ नहीं होता।