1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) कवि ने ‘अग्नि पथ’ किसके प्रतीक स्वरुप प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तरः कवि ने अग्नि पथ को मानव जीवन के बीच में आने वाली कठिनाइयों के प्रतीक स्वरूप बताया है
(ख) ‘माँग मत’ ‘ कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि चाहता है?
उत्तरः माँग मत’ ‘ कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि इंसान को हर तरह की कष्ट के लिए तैयार करना चाहते हैं।
(ग) एक पत्र- छाँह भी माँग मत’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः मनुष्य अपनी प्रकृति के अनुसार माँगने लगता है और अपनी परिस्थितियों से घबराकर दूसरों की सहायता माँगने लगता है। इससे उसका आत्मविश्वास कम होने लगता है। इसलिए अपनी कठिनाइयों का सामना स्वयं ही करना चाहिए। यदि थोड़ा भी आश्रय मिल जाए तो उसकी अवहेलना न करके धन्य मानना चाहिए
2. निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए
(क) तू न थमेगा कभी
तू न मुड़ेगा कभी
उत्तरः इस वाक्य का भाव यह हैं कि- जितनी भी कठिनाई आए हमें कभी पीछे मुड़कर नही देखना चाहिए, और हमें रुकना भी नही चाहिए।
(ख) चल रहा मनुष्य है।
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ
उत्तरः मनुष्य को आगे चलते रहना चाहिए संघर्षमय जीवन में कई बार व्यक्ति को आँसू भी बहाने पड़ते हैं, थकने पर पसीने से तर भी हो जाता है।
3. इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः इस कविता का मूलभाव नीचे दिया गया हैं।
इंसान का जीवन संघर्षंपूर्ण होता है। हमें हर पल कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता हैं। जिसके लिए हमें तैयार रहना चाहिए। अगर कोई कठिनाइ आए भी हमें डर कर नही डट कर उसका सामना करना चाहिए। हमें पीछे मुड़कर नही देखना चाहिए।