1. किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया?
उत्तर: बचपन में एक बार एक सालिम अली के सामने एक गोरेया घायल होकर गिर पड़ी। इस घटना ने सालिम अली की जीवन की दिशा को बदल दिया। वह गोरेया की देखभाल, सुरक्षा करने लगे। उसके बाद उनकी रुचि पक्षी की तरफ मूड़ गयी।
2.सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं?
उत्तर: सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह के सामने केरल की साइलेंट-वैली संबन्धी खतरों की बात उठाया होगा। उस समय रेगिस्तान का हवा खतरा बनकर कैरल पर मंडरा रहा था।पर्यावरण दूषित होने लगा था।
3. लारेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि “मेरी छत पर बैठने वाली गोरैया लारेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है?
उत्तर: लारेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा कहा था कि “मेरी छत पर बैठने वाली गोरैया लारेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती हैं । क्योंकि फ्रीडा जानती थी कि लॉरेंस प्रकृति और पक्षियों से असीम प्रेम करते थे। वे अपने घर की छत पर बैठने वाली गौरैया को बहुत प्रेम करते हैं।
4. आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) वो लारेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरुप बन गए थे।
उत्तर: इस वाक्य का आशय यह हैं कि- नैसर्गिक जिंदगी के बारे में जिस तरह लॉरेंस लिखा करते थे उसी तरह सालिम अली ने अपना सारा जीवन प्रकृति को समर्पित कर दिया। कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा।
(ख) कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लैटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कौसे गा सकेगा!
उत्तर:
(ग) सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे।
उत्तर:
5. इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा- शौली की चार विशोषताएँ बताइए।
उत्तर: लेखक की भाषा-शैली की विशेषताएँ हैं-
(1) इनकी शैली चित्रात्मक है।
(2) लेखक ने भाषा में हिंदी के साथ-साथ कहीं-कहीं उर्दू तथा कहीं-कहीं अंग्रेज़ी के शब्दों का प्रयोग भी किया है।
(3) इनकी भाषा अत्यंत सरल तथा सहज है।
(4) पाठ को पढ़ते हुए इसकी घटनाओं का चित्र उभर कर हमारे सामने आता है।
6. इस पाठ में लेखक ने सालिम अली के व्यक्तितत्व का जो चित्र खींचा है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: सालिम अनन्य प्रकृति-प्रेमी थे। प्रकृति तथा पक्षियों के प्रति उनके मन में कभी न खत्म होने वाली जिज्ञासा थी। लेखक के शब्दों में, “उन जैसा ‘बर्ड-वाचर’ शायद कोई हुआ है। उनके घर पर जो गोरेया हैं उसे बहुत प्रेम करते हैं। वह एक महान प्रकृति प्रेमी हैं।
7. ‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर: ‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक की सार्थकता यह हैं कि- यह रचना लेखक जाबिर हुसैन द्वारा अपने मित्र सालिम अली की याद में लिखा गया संस्मरण है। पाठ को पढ़ते हुए इसका शीर्षक “साँवले सपनों की याद” अत्यंत सार्थक प्रतीत होता है। लेखक का मन अपने मित्र से बिछड़ कर दु:खी हो जाता है, अत: वे उनकी यादों को ही अपने जीने का सहारा बना लेते हैं। और इस पाठ के जड़िए जो पक्षी प्रेम का भाव दिखाया गया है, वह सार्थक हुआ हैं। क्योंकि लोग पक्षी को इंसान समझने कि भूल करते हैं, जो इंसान का सबसे बड़ा भूल हैं । क्योंकि पक्षीयों को हमें प्यार की भावना से देखना चाहिए।