पाठ:-4.
आदिवासी, दीकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना
फिर से याद करें :-
1 .रिक्त स्थान भरें:-
(क) अंग्रेजों ने आदिवासियों को ____ के रूप में वर्णित किया।
(ख) झूम खेती में बीज बोने के तरीके को ____ कहते है।
(ख) मध्य भारत में ब्रिटिश भूमि बंदोबस्त के अंतर्गत आदिवासी मुखियाओं को ____ स्वामित्व मिल गया।
(ग) असम के ____ और बिहार की ____ में काम करने के लिए आदिवासी जाने लगे।
उत्तर :-
प्रश्न 2 – सही या गलत बताएँ:-
(क) झूम काश्तकार जमीन की जुताई करते हैं और बीज रोपते हैं।
उत्तर :-
(ख) व्यापारी संथालो से कृमिकोष खरीदकर उसे पाँच गुना ज्यादा कीमत पर बेचते थे।
उत्तर :-
(ग) बिरसा ने अपने अनुयायियों का आह्वान किया कि वे अपना शुद्धिकरण करें, शराब पीना छोड़ दें और डायन व जादू – टोने जैसी प्रथाओं में यकीन न करें।
उत्तर :-
(घ) अंग्रेज आदिवासियों की जीवन पद्धति को बचाए रखना चाहते थे।
उत्तर:-
आइए विचार करें :-
प्रश्न 3 – ब्रिटिश शासन में घुमंतू काश्तकारों के सामने कौन सी समस्याएँ थी ?
उत्तर :-
प्रश्न 4 – औपनिवेशिक शासन के तहत आदिवासी मुखियाओं की ताकत में क्या बदलाव आए ?
उत्तर :-
प्रश्न 5 – दीकुओं से आदिवासियों के गुस्से के क्या कारण थे ?
उत्तर :-
प्रश्न 6 – बिरसा की कल्पना में स्वर्ण युग किस तरह का था? आपकी राय में यह कल्पना लोगों को इतनी आकर्षक क्यों लग रही थी ?
उत्तर :-
प्रश्न 7 – अपने माता–पिता दोस्तों या शिक्षकों से बात करके बीसवीं सदी के अन्य आदिवासी विद्रोहों के नायकों के नाम पता करें। उनकी कहानी अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर :-