Chapter 12
सुदामा चरित
कविता से
1. सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः सुदामा की दुर्दशा देखकर श्रीकृष्ण बहुत दुखी हुए। दु:ख के कारण श्रीकृष्ण की आंखों से आंसू बहने लगे। उन्होंने सुदामा के पैर धोने के लिए पानी मांगा। लेकिन उनकी आंखों से इतने आंसू निकले कि उन आंसुओं से सुदामा के पैर बह गए। मैंने उनसे पूछा, ‘आप इतने दिन कहां थे?’
2. “पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।” पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए ।
उत्तरः प्रस्तुत दोहे में कहा गया है कि श्रीकृष्ण ने अपने बाल मित्र सुदामा के आगमन पर उनके पैर धोने के लिए आंगन में पानी मंगवाया, लेकिन सुदामा की दुर्दशा देखकर वे इतने दुखी हुए कि सुदामा के पैर आंसुओं से बह गए। यानी परत में लाया गया पानी बर्बाद हो गया।
3. “चोरी की बान में हौ जू प्रवीने। “
(क) उपर्युक्त पंक्ति कौन, किससे कह रहा है?
(ख) इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए।
(ग) इस उपालंभ (शिकायत) के पीछे कौन-सी पौराणिक कथा है?
उत्तरः क) यहां श्रीकृष्ण अपने बाल सखा सुदामा से कह रहे हैं।
(ख) सुदामा की पत्नी ने श्री कृष्ण को उपहार स्वरूप कुछ चावल भेजे थे। अनिच्छा से सुदामा श्री कृष्ण को यह उपहार देने में असमर्थ होते हैं। लेकिन श्रीकृष्ण सुदामा पर चोरी का आरोप लगाते हैं और उसे चोरी बताते हैं और कहते हैं कि तुम पहले से ही चोरी करने में माहिर हो।
(ग) इस घटना के पीछे एक पौराणिक कहानी है। जब श्रीकृष्ण और सुदामा आश्रम में अपनी-अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। एक दिन वे जलाऊ लकड़ी इकट्ठा करने के लिए जंगल में गए। रास्ते में गुरुमाता ने उन्हें चने खाने को दिये थे। सुदामा ने श्रीकृष्ण को बिना बताए चने चुरा लिए। उसी चोरी की तुलना करते हुए श्रीकृष्ण सुदामा पर दोष लगाते हैं।
4. द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा मार्ग में क्या-क्या सोचते जा रहे थे? वह कृष्ण के व्यवहार से क्यों खीझ रहे थे? सुदामा के मन की दुविधा को अपने शब्दों में प्रकट कीजिए।
उत्तरः
5.अपने गाँव लौटकर जब सुदामा अपनी झोंपड़ी नहीं खोज पाए तब उनके मन में क्या-क्या विचार आए? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः द्वारका से लौटकर जब सुदामा अपने गांव लौटे तो अपनी कुटिया के स्थान पर बड़े-बड़े भव्य महल देखकर पहले तो वे असमंजस में पड़ गए कि मैं कहीं घूम-घूमकर द्वारिका लौट आया हूं। फिर वे घूम-घूमकर सबसे पूछते हैं और अपनी झोपड़ी ढूंढने लगते हैं। लेकिन वे इसे ढूंढ नहीं पा रहे हैं।
6.निर्धनता के बाद मिलनेवाली संपन्नता का चित्रण कविता की अंतिम पंक्तियोंमें वर्णित है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः
कविता से आगे
1. द्रुपद और द्रोणाचार्य भी सहपाठी थे, इनकी मित्रता और शत्रुता की कथा महाभारत से खोजकर सुदामा के कथानक से तुलना कीजिए ।
उत्तरः
2. उच्च पद पर पहुँचकर या अधिक समृद्ध होकर व्यक्ति अपने निर्धन माता-पिता- भाई-बंधुओं से नजर फेरने लग जाता है, ऐसे लोगों के लिए सुदामा चरित कैसी चुनौती खड़ी करता है? लिखिए।
उत्तरः ऊंचे पदों पर पहुंचने के बाद अक्सर लोग अपने रिश्तेदारों, अपने दोस्तों को भूल जाते हैं, ऐसे लोगों को सुदामा चरित से सीख लेनी चाहिए। ऐसे लोगों के लिए ये रचना एक सीख है. इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि जब हम अधिक समृद्ध हो जाएं तो हमें अहंकार के कारण किसी का तिरस्कार नहीं करना चाहिए।
अनुमान और कल्पना
1. अनुमान कीजिए यदि आपका कोई अभिन्न मित्र आपसे बहुत वर्षों बाद मिलने आए तो आप को कैसा अनुभव होगा?
उत्तरः अगर कई सालों बाद कोई दोस्त हमसे मिलने आएगा तो हमें बहुत खुशी होगी। उनके प्रति हमारा कर्तव्य है कि हम उनका सम्मान करें और उनका कुशलक्षेम पूछें।
2. कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति ।विपति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत ।। इस दोहे में रहीम ने सच्चे मित्र की पहचान बताई है। इस दोहे से सुदामा चरित की समानता किस प्रकार दिखती है? लिखिए।
उत्तरः प्रस्तुत दोहे में रहीम दास जी ने सच्चे मित्र की पहचान बताते हुए कहा है कि जो विपत्ति की घड़ी में हमारा साथ देता है वही हमारा सच्चा मित्र है। सुदामा चरित्र को पढ़ते हुए हम कह सकते हैं कि श्रीकृष्ण ने भी सच्ची मित्रता का परिचय दिया और विपदा के समय अपने मित्र सुदामा की आर्थिक सहायता की। अत: हम कह सकते हैं कि रहीम द्वारा दी गई सच्चे मित्र की परिभाषा और श्रीकृष्ण द्वारा अपने मित्र की सहायता करने में काफी समानता है।