कोठारी आयोग ने टिप्पणी की कि “एक राष्ट्र
या देश का भाग्य स्कूल की कक्षाओं में बनता है।” (देश की नियति उसकी कक्षाओं में आकार ले रही है।)। यह एक स्कूल के घर में एक कक्षा के महत्व को समझेगा।
) कक्षा, 50 छात्रों को अच्छी तरह से बैठाया जाना चाहिए।
कक्षा का आकार एक आयत जैसा दिखता है।
कमरे में रोशनी की व्यवस्था होनी चाहिए।
8) कक्षा की दीवारों का रंग ऐसा होना चाहिए जो छात्रों की नजर में हो
गलत प्रभाव नहीं हो सकता। कमरों में पर्याप्त दरवाजे की खिड़कियां, वेंटिलेशन आदि रखना सुविधाजनक है।
शिक्षक की सीट थोड़ी ऊँची जगह पर होनी चाहिए और उसमें लकड़ी के चबूतरे या चबूतरे और कुर्सी-मेज की व्यवस्था होनी चाहिए।
7) शिक्षक के आसन के पीछे एक चौड़ी दीवार पर ब्लैकबोर्ड बनाना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए सावधान रहें कि ब्लैकबोर्ड ठीक से रोशनी करता है और पीछे की बेंच पर बैठे छात्र भी देखते हैं।