वर्तमान पाठ्य कक्ष या पारंपरिक पाठ चित्रों की विभिन्न कोणों से समीक्षा की जा रही है। इसकी मुख्य चेतावनी हैं:
क) संकीर्ण अवधारणा (संकीर्ण रूप से अनुमानित): वर्तमान पाठ्य श्रेणी काफी कम है। यह प्रवेश पाने और परीक्षा पास करने के लिए केवल सीमित पाठ्यक्रम खेलता है।
ख) त्रि-कलाप के लिए कोई जगह नहीं है (गतिविधि के लिए कोई जगह नहीं) : वर्तमान बनावट के काम में कोई जगह नहीं है। यह केवल पाठ्यपुस्तक लेखन और पढ़ने पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है। यह शिक्षा नीति पर ध्यान केंद्रित नहीं करता है।
ग) पाठ विषय क्रमांक (भीड़ से अधिक) : वर्तमान पाठ्यक्रम में अनेक विषय सम्मिलित हैं। परिणामस्वरूप छात्रों और शिक्षकों दोनों को इन मुद्दों को निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा करने में काफी कठिनाई होती है।
डी) बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अनुपयोपी (ची एल-ड्रेन जरूरतों के लिए अनुपयुक्त): यह बच्चों के विभिन्न अनुप्रयोग हैं संपूर्ण सक्षम नहीं है।
ई) तकनीकी और व्यावसायिक अध्ययन के लिए प्रावधान का अभाव: स्कूली पाठ्यक्रम और परिपत्र शिक्षा को देखा जा सकता है। वर्ष के दौरान, मंत्रालय और सर्कल मामलों के मंत्रालय के पाठ्यक्रम में कोई योग्यता नहीं है, लेकिन देश के आर्थिक और उद्यमशीलता विकास में प्रशिक्षित करना बहुत महत्वपूर्ण है।ग) परीक्षण से प्रभावित (परीक्षा का प्रभुत्व): पारंपरिक। परीक्षा के लिए उपयुक्त बनाकर ही पाठ्यक्रम तैयार किया जाता है। देश के आर्थिक और औद्योगिक विकास पर छात्रों का प्रशिक्षण। देना बहुत जरूरी है।
ग) जीवन से संबंधित नहीं (जीवन से संबंधित नहीं): जीवन के पाठ्यक्रम का जीवन से कम संबंध है। स्कूलों में छात्रों को जिन विषयों पर पढ़ाया जाता है, वे वास्तविक जीवन में मायने नहीं रखते।
ज) कठोर (कठोर): वर्तमान पाठ्यक्रम अनम्य है। यह हमेशा बदलती दुनिया के साथ नहीं बदलता है। पाठ्यक्रम संरचना नीति (पाठ्यचर्या निर्माण के सिद्धांत): पाठ्यक्रम तैयार करते समय निम्नलिखित सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए।